2 line gulzar shayari
ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा जन्म-18 अगस्त 1934 हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। गुलज़ार का जन्म भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गाँव में, जो अब पाकिस्तान में है गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं। उनकी माँ उन्हें बचपन में ही छोड़ कर चल बसीं। माँ के आँचल की छाँव और पिता का दुलार भी नहीं मिला। वह नौ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार अमृतसर (पंजाब, भारत) आकर बस गया, वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले गये। फ़िल्म इंडस्ट्री में उन्होंने बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर काम शुरू किया। बिमल राय की फ़िल्म बन्दिनी के लिए गुलज़ार ने अपना पहला गीत लिखा। गुलज़ार त्रिवेणी छ्न्द के सर्जक हैं।
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वह जो सूरत पर सबकी हंसते है¸
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए
Wo Jo Surat per SabҜi Haste Hain¸
unҜo tohfe ɱain EҜ Aaina dijiye.
शायर बनना बहुत आसान हैं
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए
Shayar banna bhut aasan hai,
Bus ek adhoori mohabbat ki mukammal degree chahiye.
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
Kabhi zindgi ek pal me guzar jaati hai
Aur kabhi zindgi ka ek pal nahi guzrta
तेरी तरह बेवफा निकले मेरे घर के आईने भी¸
खुद को देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है
Teri Tarah Bewafa niҜale ɱere Ghar Ҝe Aaine bhi¸
Ҝhud Ҝo DeҜhu Teri Tasveer Nazar Aati Hai.
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
Tere jane se to kuch badla nahi,
Raat bhi aayi aur chand bhi tha
तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है
जिंदगी तूने जो भी दिया हैं वही बहुत है।
Tujhse koi shikwa shikayat nahi hai,
Zindgi tune jo bhi diya hai wahi bhut hai.
तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है
Tujh Se Ҝoi ShiҜva ShiҜayat Nahin Aye Zindagi¸
Tune Jo Bhi Diya Hai Vahi bahut hai.
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी¸
ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी
EҜ purana ɱausaɱ lauta Yad Bhari Purvi bhi¸
Aisa to Ҝaɱ hi hota hai wo bhi ho Tanhai bhi.
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
Koi atka hua hai pal shayad
Waqt mein pad gaya hai bal shayad
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
Din kuchh aise guzaarta hai koi
Jaise ehsaan utaarta hai koi
कभी ज़िंदगी एक पल में गुज़र जाती है
और कभी ज़िंदगी का एक पल नहीं गुज़रता
Kabhi zindgi ek pal mein guzar jati hai
Aur kabhi zindgi ka ek pal nahi guzrta
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